बीवी भगवन के प्रसाद जैसे होती है,
जिसमे चाहते हुए भी कोई नुक्स नहीं निकाल सकते;
श्रद्धा और मज़बूरी के साथ चुपचाप खाए जाओ...!"
जिसमे चाहते हुए भी कोई नुक्स नहीं निकाल सकते;
श्रद्धा और मज़बूरी के साथ चुपचाप खाए जाओ...!"
हसीनों से मिलें नज़रें अट्रैक्शन हो भी सकता है, चढ़े फीवर मोहब्बत का तो एक्शन हो भी सकता है, हसीनों को मुसीबत तुम समझ कर दूर ही रहना, ये अं...