"बचपन से आज तक जितने लात और घूंसे पिताजी के हाथ से खाये है..
अगर इससे आधे घूंसे और लात फिल्मो में खा लेता तो कही सेटल हो गया होता"
अगर इससे आधे घूंसे और लात फिल्मो में खा लेता तो कही सेटल हो गया होता"
हसीनों से मिलें नज़रें अट्रैक्शन हो भी सकता है, चढ़े फीवर मोहब्बत का तो एक्शन हो भी सकता है, हसीनों को मुसीबत तुम समझ कर दूर ही रहना, ये अं...